जेनेटिक कोडिंग की हुई पहचान, असरदार दवा बनाने में मिलेगी मदद: वैज्ञानिकों का अध्ययन

जेनेटिक कोडिंग की हुई पहचान, असरदार दवा बनाने में मिलेगी मदद: वैज्ञानिकों का अध्ययन

सेहतराग टीम

कोरोना (Corona) का काट पता करने में जुटे वैज्ञानिक को एक और कामयाबी मिली है। जापान के यूनिवर्सिटी ऑफ टोक्यो के वैज्ञानिक डॉ. नोबुयोशी अकिमिस्तु का कहना है कि कोरोना वायरस के विशेष हिस्से की जेनेटिक कोडिंग (Genetic Coding) का पता चला है। इससे उसके जीवन चक्र के बारे में पता किया जा सकता है और इलाज के लिए असरदार दवा तैयार करने में मदद मिलेगी। डॉ. अकिमिस्तु ने बताया कि कोरोना और इन्फ्लुएंजा (Corona and Influenza) वायरस एक ही परिवार के हैं और ये सभी अपने जेनेटिक सिक्वेंस को आरएनए के तौर पर रखते हैं। यही आरएनए जब मनुष्यों की कोशिकाओं में घुसता है तो शरीर में अपनी संख्या को बढ़ाता है तो शरीर में अपनी संख्या को बढ़ाता है। वे बताते है कि वायरस को स्थिर रहने के लिए आरएनए की जरुरत होती है. इसलिए वे शरीर में ऐसी स्थिति बनाता है, जिससे रोग प्रतिरोधक तंत्र का जैनेटिक मैटेरियल को निष्क्रिय करता है। बायोकेमिकल एंड बायोफिजिकल रिसर्च (Biochemical and Biophysical Research) में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार वैज्ञानिकों ने इस बार जेनेटिक सिक्वेंसिंग की आयु जानने पर काम किया जिससे ये पता चला कि वे अपने आप को रख सकता है या निष्क्रिय हो जाता है।

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26 वायरस जीनोम्स के आरएनए का अध्ययन (RNA Study of 26 Virus Genomes):

वैज्ञानिकों ने 26 वायरस जीनोम के 11848 आरएनए सिक्वेंसिग का आध्ययन किया। इसमें वैज्ञानिकों ने 625 स्थिति आरएनए मिलेय़ डॉ. आकिमिस्तु का कहना है कि इस शोध के जरिए कोरोना वायरस के लिए असरदार दवा बनाई जा सकती है। दवा को कुछ इस तरह से तैयार किया जाएगा कि वो वायरस के जैनेटिक मैटेरियल को खत्म करेगी जिससे वे अपना कुनबा नहीं बढ़ा सकेगा।

 

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